बड़ी बुरी आदत है
बातें अक्सर भूल जाती हूँ
बहुत से किस्से
बहुत सी बातें
कल से पहले
क्या हुआ था
याद करने बैठूं भी तो
भूल जाती हूँ
जैसे हवा सामने से गुजरी हो
हलके से मुझे छूआ हो..
कहाँ याद रहता है
लहराना आँचल का,
बिखरना बालों का ,
आसमान पर बिखरे रंग,
चिड़ियों का चहचहाना,
फूलों का खिलना
और मुरझा जाना ..
लगता है कि
सब भूल जाती हूँ....!
पर नहीं...
एक अंतकूप है भीतर
संवेदनाओं से भरपूर
मैं डुबकी लगा आती हूँ
कुछ बेमतलब के किस्से
उठा लती हूँ ...
अहसास कुछ समेट कर
कुछ यादों को
फिर से दोहराती हूँ...
और...
एक तत्व लौह है
देह प्राण में ..
निष्प्राण
चुम्बक है तुम्हारे भीतर ..!
मैं याद बहुत करती हूँ
लेकिन फिर भूल जाती हूँ
या
प्रक्रिया कुछ भूलने की
और कुछ भूल नही पाती हूँ
-शालिनी
25.4.2016
बातें अक्सर भूल जाती हूँ
बहुत से किस्से
बहुत सी बातें
कल से पहले
क्या हुआ था
याद करने बैठूं भी तो
भूल जाती हूँ
जैसे हवा सामने से गुजरी हो
हलके से मुझे छूआ हो..
कहाँ याद रहता है
लहराना आँचल का,
बिखरना बालों का ,
आसमान पर बिखरे रंग,
चिड़ियों का चहचहाना,
फूलों का खिलना
और मुरझा जाना ..
लगता है कि
सब भूल जाती हूँ....!
पर नहीं...
एक अंतकूप है भीतर
संवेदनाओं से भरपूर
मैं डुबकी लगा आती हूँ
कुछ बेमतलब के किस्से
उठा लती हूँ ...
अहसास कुछ समेट कर
कुछ यादों को
फिर से दोहराती हूँ...
और...
एक तत्व लौह है
देह प्राण में ..
निष्प्राण
चुम्बक है तुम्हारे भीतर ..!
मैं याद बहुत करती हूँ
लेकिन फिर भूल जाती हूँ
या
प्रक्रिया कुछ भूलने की
और कुछ भूल नही पाती हूँ
-शालिनी
25.4.2016