22.8.2016
मन में जितने चोर तुम्हारे
ताले उतने तुम्हें है प्यारे...!!!
मन के वहमी दिल के काले
लुकते छिपते खुद ही से सारे,
कोई जाने या न जाने
दरवाजों पर ही भेद हैं सारे,
मन में जितने चोर तुम्हारे
उतने ही हैं भेष तुम्हारे ...!!!!
-शालिनी
मन में जितने चोर तुम्हारे
ताले उतने तुम्हें है प्यारे...!!!
मन के वहमी दिल के काले
लुकते छिपते खुद ही से सारे,
कोई जाने या न जाने
दरवाजों पर ही भेद हैं सारे,
मन में जितने चोर तुम्हारे
उतने ही हैं भेष तुम्हारे ...!!!!
-शालिनी
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